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कड़ियाँ 1 से 24

ट्रेलर

रूपक, गुरु नानक के कदमों की रुहानी छाप

4:25 मिनट

1

नूर-ए-तौहीद

(अखंडता की रौशनी)

अखंडता की रौशनी जगाने वाले कोमल जुझारू गुरु नानक की मासूम उम्र।

45:17 मिनट

2

शफ़ाफ ख़्याल

(निर्मल सोच)

अनेकता में एकता के सबक को स्पष्टता से बुलंद करने वाले निडर रहमदिल गुरु नानक की जोबनवंती उम्र।

44:22 मिनट

3

रूहानी रवानगी

(आत्मिक पथ)

तौहीद को देखने, गले लगाने और बाँटने के लिए जिज्ञासु नज़रवान गुरु नानक की पहली उदासी।

41:44 मिनट

4

पश्चिमी सूर्योदय

(पश्चिम की भोर वेला)

'उत्तर कौशल' में हक़ीक़ी साहिब नज़र गुरु नानक अज्ञानता की गहरी नींद से मानव मन को जगाने का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।

37:31मिनट

5

तत्व-ज्ञान

(ज्ञान का सारांश)

उपमहाद्वीप की फ़लसफ़ी दार्शनिक परंपराओं के प्रबुद्ध वाहक गुरु नानक ने 'गोरखमत्ता' में कनफटे जोगियों के साथ गूढ़ ज्ञान की गोष्ठी की।

38:07 मिनट

6

पहेली

(गहरा संदेश)

आत्मविश्वास से भरे बुद्धिजीवी गुरु नानक के आदर्श भाव एक ऐसे शहर में आलोचनात्मक सोच पैदा करते हैं जिसे बदकारी से जीता नहीं जा सकता।

36:09 मिनट

7

अगोचर

(अदृश्य का दृश्य)

दिखते और अनदिखते पानियों के संगम पर रमज़ों को खोलने का हौसला बांटते हुये गुरु नानक, मनुष्य को अपने अंदरूनी प्रवाह के साथ संपर्क कायम करने के लिये प्रेरित करते हैं।

34:50 मिनट

8

अधिकार

(हक़दारी)

आदिकाल से लगातार आबाद रहे शहर में जहां गंगा नदी कोहनी मोड़ मुड़ती है, बराबरी के आलंबरदार, गुरु नानक नाबराबरी के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाते हैं।

33:10 मिनट

9

सम्पजना

(ख़ालस एहसास)

'मगध' में शफ़ाफ़ ज़मीर वाले जिज्ञासु गुरु नानक ने अपने विचारों का व्याख्यान उन संशयवादियों के सामने किया जो हाज़रा-हज़ूर के अस्तित्व को ना तो स्वीकार करते हैं और ना ही इनकार करते हैं।

43:53 मिनट

10

गभीरा

(गहराई)

'ढाकेश्वरी' के शहर में एकाग्र स्वभाव वाले गुरु नानक ने व्यक्त किया की गहरी नज़र से प्रभावी कार्रवाई के लिये आवश्यक फ़ैसले लेना आसान हो जाता है।

48:45 मिनट

11

अहं त्वम

(तोही मोही)

वहदतवादी कौशल गुरु नानक का 'धनसिरी' में नागाओं से दोस्ती करने का दृढ़ जज़्बा, जो किसी को अजनबी नहीं समझता।

39:27 मिनट

12

सृष्टि

(क़ायनात)

'उत्कल' में सृजनहार की सर्जना की उपमा में गर्मजोशी से भरे कुदरतवादी गुरु नानक क़ायनाती तराना सुरबद्ध करते हैं।

33:12 मिनट

13

विल्लिपुनर्वन

(जाग्रति का बुलावा)

'पंचभूत स्थलम' में निस्वार्थ पालनहार गुरु नानक दुनिया के कल्याण का शाश्वत मंत्र प्रस्तुत करते हैं।

37:13 मिनट

14

सेतु बंध

(तब्दीली का पुल)

'सेतु बंध' पर सकारात्मक विचारों वाले गुरु नानक प्रतीकात्मक रूप से सच्ची जीत की नुमाइंदगी करते हैं जो सांसारिक महासागर को नाकारात्मक से सकारात्मक पक्ष की तरफ पार करने में मदद करता है।

50:48 मिनट

15

शुद्ध उदेशम

(नीयत का बीज)

हरे भरे 'मालाबार' क्षेत्र से समुद्र में बहते पानी के बीच, सच्चे-सुच्चे दयावान गुरु नानक के अच्छे इरादों और उदारता की अभिव्यक्ति।

48:07 मिनट

16

ज्ञान बोहित

(विवेक की किश्ती)

'भृगु' की धरती पर गुरु नानक दिलचस्प मिसाल प्रस्तुत करते हैं जिस में वह विपरीत हालात का हक़ीक़ी समाधान बताते हैं।

52:00 मिनट

17

प्रवास

(क़ियाम)

बारह साल की लंबी उदासी के बाद परोपकारी मुसाफ़िर गुरु नानक की पांच नदियों की भूमि पर घर वापसी है, जहां से जल्दी ही अगली उदासी शुरू करते है।

56:10 मिनट

18

सुमेरू

(चेतना)

दुनिया की छत पर, देवताओं और राक्षसों के पहाड़ों पर, निडर गुरु नानक ज़ोर देकर कहते हैं कि सिर्फ़ सर्वोच्च चेतना ही इलाही का केंद्र है।

1:08:02 घंटा

19

निमृत प्रभाव

(विनम्रता की छाप)

'तक्षशिला' की पथरीली पहाड़ियों में विनम्र फ़लसफ़ी गुरु नानक अपने दार्शनिक सबदों से पथराई रूहों को मुलायम करते हैं।

47:35 मिनट

20

रंगीन गुलदस्ता

(रंग-बिरंगे फूलों का गुच्छा)

सिंधु नदी के तट पर सरबत की सांझ के अलंबरदार गुरु नानक इत्तेफ़ाक के रंग बिखेरते हैं।

1:02:49 घंटा

21

वहदत-अल-वजूद

(सृष्टि की एकता)

सभ्यताओं के पालने में इतफ़ाक़-पसंद गुरु नानक ने फ़रमाया कि हाज़रा-हज़ूर की जागरूकता वह नख़लिस्तान है जो रूह की प्यास मिटा देती है।

51:22 मिनट

22

लिहाज़-ए-इंसानियत

(मानवता का सम्मान)

'खुरासान' में मेहरवान मानवतावादी गुरु नानक मानवता की सुगंध फैलाते है।

1:08:18 घंटा

23

गुरु चेला

(मुर्शद और अभिलाषी)

बुलंद पर्यवेक्षक गुरु नानक रूहानी ज्योत आगे बढ़ाने के लिये अपने संगी को तैयार करते हैं।

48:14 मिनट

24

बाम-ए-नानक

(नानक की ज्योत)

सरबत के भले की सोच में जड़ें रखने वाले गुरु नानक ने फ़रमाया कि कोई ऊंचा या नीचा नहीं है; सिर्फ नेकी ही शिरोमणि है।

57:44 मिनट